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    इंजीनियरों के कमरे में मिल रही हैं ढेरों सिगरेट के खोख़े, इसका मतलब इकॉनमी सही राह पर है: रवि शंकर प्रसाद

    रविशंकर प्रसाद ने अर्थव्यवस्था के हाल पर फिर से टिप्पणी की है, इस बार उनका कहना है कि, “आजकल इंजीनियरों के कमरे से पहले से ज़्यादा सिगरेट के खोख़े मिल रहे हैं जो साफ़ दर्शाता है कि इकॉनमी सही हाल में है और आगे बढ़ रही है!

    अर्थव्यवस्था का हाल बताते मंत्री जी
    ये तो तीसरी कक्षा में पढ़ने वाला बच्चा भी जानता है कि इंजीनियरों के पास सबसे कम पैसे होते हैं, ऐसे में उनके पास इतनी बड़ी मात्रा में सिगरेट के खोख़े मिलना यह साबित कर देता है कि मध्यम वर्ग को कोई परेशानी नहीं है!”

    कानून मंत्री के इस बयान का समर्थन, कॉलेजों के पास बैठने वाले सिगरेट विक्रेताओं ने भी किया है। रामूलाल, जो कि दिल्ली के शहीद भगत सिंह कॉलेज के सामने सिगरेट की गुमटी लगाता है, बताया कि, “आज कल सिगरेट की बिक्री ख़ूब हो रही है, इंजीनियर भी पहले से ज्यादा धुँआ उड़ा रहे हैं, लेकिन पैसा फिर भी नहीं दे रहे!

    या तो वे चिंता में हैं और पैसे नहीं है, या फिर पैसे नहीं है इसलिए चिंता में हैं, कारण कुछ भी हो लेकिन यह बात सच है कि सिगरेट की बिक्री काफ़ी बढ़ गयी है!” -उसने खैनी रगड़ते हुए कहा।

    रामू ने तो यहाँ तक कह दिया कि अगर सारे इंजीनियर उनका अब तक का उधार चुका दे तो भारत की इकॉनमी में 2-3% का सुधार हो जाएगा। अब इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो योगेंद्र यादव ही बता सकते हैं।

    फिलहाल रविशंकर प्रसाद जी की इस बात को वेरिफाई करने का कोई पुख़्ता तरीका नहीं है लेकिन उनकी बात मानने के अलावा हमारे पास कोई ऑप्शन भी नहीं है।

    रविशंकर प्रसाद ने अर्थव्यवस्था के हाल पर फिर से टिप्पणी की है, इस बार उनका कहना है कि, “आजकल इंजीनियरों के कमरे से पहले से ज़्यादा सिगरेट के खोख़े मिल रहे हैं जो साफ़ दर्शाता है कि इकॉनमी सही हाल में है और आगे बढ़ रही है!

    अर्थव्यवस्था का हाल बताते मंत्री जी
    ये तो तीसरी कक्षा में पढ़ने वाला बच्चा भी जानता है कि इंजीनियरों के पास सबसे कम पैसे होते हैं, ऐसे में उनके पास इतनी बड़ी मात्रा में सिगरेट के खोख़े मिलना यह साबित कर देता है कि मध्यम वर्ग को कोई परेशानी नहीं है!”

    कानून मंत्री के इस बयान का समर्थन, कॉलेजों के पास बैठने वाले सिगरेट विक्रेताओं ने भी किया है। रामूलाल, जो कि दिल्ली के शहीद भगत सिंह कॉलेज के सामने सिगरेट की गुमटी लगाता है, बताया कि, “आज कल सिगरेट की बिक्री ख़ूब हो रही है, इंजीनियर भी पहले से ज्यादा धुँआ उड़ा रहे हैं, लेकिन पैसा फिर भी नहीं दे रहे!

    या तो वे चिंता में हैं और पैसे नहीं है, या फिर पैसे नहीं है इसलिए चिंता में हैं, कारण कुछ भी हो लेकिन यह बात सच है कि सिगरेट की बिक्री काफ़ी बढ़ गयी है!” -उसने खैनी रगड़ते हुए कहा।

    रामू ने तो यहाँ तक कह दिया कि अगर सारे इंजीनियर उनका अब तक का उधार चुका दे तो भारत की इकॉनमी में 2-3% का सुधार हो जाएगा। अब इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो योगेंद्र यादव ही बता सकते हैं।

    फिलहाल रविशंकर प्रसाद जी की इस बात को वेरिफाई करने का कोई पुख़्ता तरीका नहीं है लेकिन उनकी बात मानने के अलावा हमारे पास कोई ऑप्शन भी नहीं है।

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